रक्षा बजट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की तैयारी, सरकार ला सकती है 50,000 करोड़ का पूरक प्रावधान

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

आतंक के खिलाफ भारत का रुख अब और भी सख्त हो चुका है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर की गई एयरस्ट्राइक के बाद केंद्र सरकार अब रक्षा क्षेत्र में बड़ी आर्थिक मदद देने जा रही है। सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार इस साल रक्षा बजट 2025-26 में अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये का पूरक प्रावधान ला सकती है।

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यह पूरक बजट मुख्य रूप से सेनाओं की आवश्यक खरीद, अत्याधुनिक तकनीक, और रिसर्च एवं डेवलपमेंट पर खर्च किया जाएगा। इसके जरिए भारत सेना की जमीनी और वायु शक्ति को और मजबूत करेगा।

कब कितना रहा भारत का रक्षा बजट?

वर्ष रक्षा बजट (करोड़ में)
2014-15 ₹2,29,000
2015-16 ₹2,46,727
2016-17 ₹3,40,921
2017–18 ₹3,59,854
2018–19 ₹4,04,365
2019-20 ₹4,31,011
2020–21 ₹4,71,378
2021-22 ₹4,78,196
2022-23 ₹5,25,166
2023-24 ₹5,93,538
2024-25 ₹6,21,941
2025-26 ₹6,81,210 (अब तक का सर्वाधिक)

एयरस्ट्राइक: ऑपरेशन सिंदूर की निर्णायक कार्रवाई

7 मई 2025 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर सफलतापूर्वक एयरस्ट्राइक की थी। इस कार्रवाई में:

  • 100+ आतंकी मारे गए

  • आतंकियों के सभी ठिकानों को तबाह कर दिया गया

  • सेना ने सिर्फ आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाया, न कि रिहायशी या सैन्य क्षेत्रों को

भारतीय सेना ने स्पष्ट किया कि ये कार्रवाई केवल आतंकवाद के विरुद्ध थी, और नागरिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया।

आगे क्या?

  • शीतकालीन सत्र में 50,000 करोड़ के पूरक बजट को मंजूरी मिल सकती है

  • यह राशि नई हथियार प्रणाली, ड्रोन्स, निगरानी यंत्र, और AI-आधारित तकनीक के विकास में लगाई जा सकती है

  • साथ ही, रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता (Make in India in Defence) को भी बढ़ावा मिलेगा

भारत अब सिर्फ बातों से नहीं, बल्कि बजट और बम दोनों से जवाब दे रहा है। ऑपरेशन सिंदूर न सिर्फ आतंक के खिलाफ निर्णायक मोड़ है, बल्कि यह आने वाले वर्षों में भारत की रक्षा नीति का नया मानक भी तय करेगा।

विश्लेषण: Lt Col Vijay Singh (retd)

भारत सरकार द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों पर की गई एयरस्ट्राइक और अब इसके बाद रक्षा बजट में अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव, केवल सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि एक बहुआयामी रणनीतिक संकेत है – घरेलू, क्षेत्रीय और वैश्विक तीनों स्तरों पर।

1. घरेलू स्तर पर: सेना का मनोबल और जनता का भरोसा

  • पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने लगातार सेना को मजबूत करने की दिशा में बजट बढ़ाया है।

  • 2014 में जहाँ रक्षा बजट ₹2.29 लाख करोड़ था, 2025 में यह ₹6.81 लाख करोड़ हो गया — लगभग तीन गुना वृद्धि

  • पूरक बजट का प्रस्ताव सीधे-सीधे सेना को यह संदेश देता है कि देश उनके साथ खड़ा है, चाहे जितना भी खर्च करना पड़े।

2. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संदेश: भारत अब ‘No Nonsense Policy’ पर है

  • एयरस्ट्राइक करके भारत ने फिर स्पष्ट कर दिया कि वह अब केवल डिप्लोमैटिक प्रोटेस्ट या UN नोट्स तक सीमित नहीं रहेगा

  • बढ़ता हुआ रक्षा बजट यह भी बताता है कि भारत न केवल जवाब देने में सक्षम है, बल्कि पहले से तैयारी में है

  • यह उन देशों के लिए भी चेतावनी है जो छद्म युद्ध या प्रॉक्सी आतंक को समर्थन देते हैं।

3. पाकिस्तान के लिए सीधा सिग्नल: अब Safe Haven नहीं बचेगा

  • भारत ने इस ऑपरेशन में आतंकियों को निशाना बनाया, पाक सेना को नहीं – यानी पाकिस्तान को खुली चेतावनी:
    “तुम्हारे घर में जो साँप पाले हैं, उनका ज़हर अब तुम्हें भी डसेगा।”

  • यदि भारत को फिर कोई उकसाया गया, तो अगला हमला सिर्फ आतंकी ठिकानों पर सीमित नहीं रहेगा, यह संदेश भी स्पष्ट है।

4. राजनीतिक दृष्टिकोण: चुनावी रणनीति का हिस्सा भी?

  • इस समय देश में जब राष्ट्रीयता और सुरक्षा भावनाओं का ज्वार है, तब इस तरह के बजटीय प्रस्ताव चुनावी नजरिए से भी सरकार की लोकप्रियता को बढ़ा सकते हैं

  • विपक्ष के लिए यह हमला करने की नहीं, रक्षात्मक मुद्रा अपनाने की स्थिति बनाता है।

5. सैन्य आधुनिकीकरण और ‘Make in India’ को बल

  • 50,000 करोड़ के अतिरिक्त बजट का एक बड़ा हिस्सा रक्षा उत्पादन, स्टार्टअप्स और स्वदेशी तकनीक को मिलेगा।

  • इससे भारत “कंज़्यूमर से प्रोड्यूसर” की भूमिका में आएगा, जिससे रक्षा निर्यात में भी इजाफा हो सकता है।

“ऑपरेशन सिंदूर” अब सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि एक संदेश है। भारत अब आतंक के खिलाफ ना केवल युद्ध की भाषा बोल रहा है, बल्कि अर्थव्यवस्था, तकनीक और कूटनीति को भी उस युद्ध के हथियार बना रहा है।

ये रणनीति अगर इसी तरह आगे बढ़ती रही, तो भारत न केवल आतंकवाद पर जीत दर्ज करेगा, बल्कि खुद को एशिया की सैन्य महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा — नारे से नहीं, नाल और नीतियों से।

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